पड़ोस में कोई शिफ्ट हुआ ।दरवाजा खुलते ही देखा तो कोई दो.महिलाएं अंदर जाती हुई दिखाई थी। और ऐसे ही रोज कभी ना कभी दरवाजा खुला होने के साथ हम उम्र को देख कर एक मुस्कुराहट आ जाती। एक दिन मैंने पूछ ही लिया आपका नाम क्या है? रिया उसने बताया और पूछा आपका ? मैंने बता दिया सौम्या।
धीरे धीरे कभी कभी बात हो जाया करती थी। एक दिन मैंने पूछा रिया जिस दिन तुम आए थे। उस दिन मैंने तुम्हारे साथ एक बुजुर्ग महिला भी देखी थी तुम्हारी सास है क्या ? हां सौम्या, बुजुर्ग है वह काफी ज्यादा चल नहीं पाती, अंदर लेटी रहती है रिया ने जवाब दिया।
एक दिन रिया मेरे घर आई और बोली सौम्या मैं जरा किसी काम से अपने पति के साथ जा रही हूं । तुम माँ जी को एक दो बार जाकर देख लेना। मैंने कहा ठीक है, तुम जाओ ।मैं उनका ध्यान रखूंगी। उसके जाते ही मैंने नाश्ता लिया और उसके घर की एक चाबी मेरे पास ही रहती थी,पडोस मे देते है ताकी खो जाये तो ले पाये पडोस से।उस चाबी से खोलकर में अंदर चली गई। आंगन में सफेद बालों वाली बुजुर्ग महिला को लेटे हुए देखा, आंटी नमस्ते! मैं सौम्या आपके घर के सामने ही रहती हूं ।आज आपकी बहु रिया नहीं है इसीलिए मैं आपको देखने आई हूं। आपको कुछ चाहिए तो नहीं? नहीं बेटी बैठो बैठो मैं ठीक से चल नहीं पाती इसलिए सौम्या कह गई होगी। आपने नाश्ता किया ?हां बेटा चाय से बिस्किट खा लिए थे।कुछ बनाकर रख गयी होगी ।पास मे स्टूल पर रोटी और दाल थी।मैने गरम पराठे आंटी को दिए आंटी आलू के परांठे बनाए है लिजिए । आंटी ने सकुचाते हुए खा लिये । और मै चली गयी। बस उस दिन से एक झुकाव सा हो गया कभी कभी जाती तो रिया बात ही नही करने देती कमरे मे मुझे बैठाये रखती।आंटी का प्यार भी मै महसूस कर रही थी। और जब कभी वो बाहर जाते पति पत्नी तब मै देखभाल के लिए जाती । मुझे देखते ही एक अलग चमक आंटी जी के चेहरे पर दिखती ।मेरा हाथ अपने हाथ मे लेती और बात करते समय चुडिय़ां मेरी इधर उधर करती रहती । चुडियों मे तेरे हाथ बहुत सुंदर लगते है।
कभी बिखरे बाल देख कर मै तेल लगा कर, चोटी बना देती तो ढेरो आर्शीवाद दे देती। मैंने बोला आंटी जी रिया को बोल दिया किजिये तेल लगाने को कितने उलझ गये है बाल आपके। वो मुस्कुराई बोली साल बीत गये उसको मेरे पास बैठे हुए। मैं चौक गयी ऐसा सोचा भी नही कभी मैने।
आँखे भर आई उनकी ।बात काट कर बोली तुम जाओ रिया आती होगी । बेटेऔर बहु को ज्यादा देर मेरा किसी से बात करना पसंद नही ।कुछ पूछना चाहा तो बोली फिर कभी बताऊगीं।शायद अपना समझने की वजह से वो बता गयी जो कभी नही बताती थी।
मै बहुत सवाल लिए मन मे चली गयी। रात भर सोई नही । अगले दिन मैने रिया से पूछा तुम्हारी सास कैसी आदत की है ? बोली बहुत अच्छी है । रौनक है उनसे। मै परेशान फिर आंटी ने क्यूँ कहा?एक दिन रिया और उसके पति बाहर गये । मै पहुंची तो दंग रह गयी आंटी के बाल कट गये थे। आँखो मे आँसू । ये क्या ? आंटी बाल बायकट !
बेटा तुम तेल लगा जाती थी तो रिया ने बोला पडोसी को क्यूँ कहती हो ?मैने बहुत कहा वो खुशी से करती है । पर सुना नही कैची लाई और काट दिये। मेरे सलवार कुर्ती से दुखी थी तो गाउन पहना दिया। बेटा कुछ नही बोलता।रोने लगी । मेरी जिंदगी भार है दोनों पर ।
ओहह ! आंटी मेरी वजह से आपके बाल....मैं रोने लगी । नही बेटा सौम्या।ये दोनो ऐसे ही है। बस मेरी मौत का इंतजार कर रहे है।
मैं रोती हुई घर चली आई ।गयी नही उनके ।अपने को दोष देती रही ।क्यूँ तेल लगाया, चोटी बनायी ? मैं अनाथ थी, माँ बाबा गुजर चुके थे । उनमे ही माँ ढुढने लगी थी। अब रिया के नही गयी। मेरी वजह से परेशानी नही हो। रिया शायद मेरा लगाव समझ गयी थी ।उनसे दूर रखने के लिए उसने ऐसा किया। ।जब जाते दोनो कही ,तो मुझे नही बुलाते। मैं रोती पर कुछ उनके घर मे कह नही सकती थी ।शायद आंटी भी मेरे को याद करती होगी।
एक दिन चिलाने की आवाज आई रिया के घर से ।अपने को रोक नही पाई । मैं दौड़ कर गयी । आंटी गिर गयी थी ।रो रही थी रिया ने हथेली से मेरी ओर रूकने का इशारा किया। हम देख लेगें तुम्हारी जरूरत नही सौम्या। मै गुस्से मे थी पर कुछ नही बोली। चली आई घर अपने। पर सो नही पाई। कुछ दिन बाद रहा नही गया मुझसे तो रिया की कामवाली से आंटी का पूछा तो पता चला आंटी नही है चार दिन से। मै घबरा गयी। कहाँ गयी होगी? ठीक से चल नही पाती थी कोई उनका था भी नही, जो किसी के कोई ले जाये। कामवाली बोली दीदी एक दिन वो "अपना घर "वृद्दाश्रम की बात कर रहे थे। मेरे को देख कर चुप हो गये। मै फोन से नम्बर निकाला पता चला चार दिन पहले ही उसी तरह की पहचान की औरत आई है।
मै वहाँ गयी और आफिस से बात की और वो मिल गयी। मै और वो गले लग कर ऐसे रोए ,एक अनकहा रिश्ता जुड गया था। वो भी मेरा नाम सौम्या कहकर गले लग गयी,और मै भी खूब सुबक रही थी।मैने उन्हे कानूनी कागज कारावाही से अपने घर ले आई और रिया उसके पति पर आंटी की तरफ से केस किया। ये अनकहा रिश्ता एक प्यार ,अपनेपन के गहरे रिश्ते में, माँ बेटी का रिश्ता बन चुका था। कुछ अनकहे रिश्ते ऐसे जुड़ जाते है।
अंशु शर्मा
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