होता वही विजय ,
जो रहे दृढ़निश्चय ।।
रचा है इतिहास ,
कर्म करे सत्कार ।।
जो भाग गया छोड़ ,
उम्मीद की डोर तोड़ ।।
क्या कर पाया जग में प्रकाश ,
क्या हो पाया है उसका सत्कार ।।
देख जीवन की भाग दोड़ ,
मिला नया विश्वास ।।
जो है उन्नति पर पग पसार ,
करे गुणगान उसका ही समाज ।।
सीख मानस तू भी ,
बिना आदर जीवन भी ,
जीना है बेकार ।।
कुछ कर , कुछ होड़ लगा ,
जीवन में शुभ मोड़ भला ।।
जग देगा सम्मान तुझे ,
जागेगा एक विश्वास नया।।
चढ़े शिखर स्वाभिमान तेरा ,
कर्म - लक्ष्य साथ लिए ,
तू नेकी पर चढ़ता जा ।।
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