साहित्य चक्र

25 January 2020

आशिक बेईमान

गज़ल
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तुम किया करते जिस से भी प्यार हो
शायद उसे और किसी का इंतजार हो

बेशक रोओ खूब तुम उसके ही लिए
जो तुम्हारे आँसू पोछने को तैयार हो

अक्सर मिले है लोग मतलब के सारथी
कि सौदागर के लिए होते सब बेकार हो

हो सकता है आशिक बेईमान हो तेरा
क्यों साखी इश्क में तुम ऐसे बीमार हो

हंस के गले लगायेगी एकदिन खुशियाँ
इस मोड़ से निकलता नया संसार हो

इत्र फूलों का चूस कर उड़ जाते भंवरें
वीणा जीस्त में आये ना ऐसी बहार हो

                                        - वीणा चौधरी


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