साहित्य चक्र

04 January 2020

"जोकर" हूं मैं



और मेरी जिंदगी सर्कस है..
जिसमें मुझे लोगों को हसानें,
लोगों को खुश करने का काम मिला है,
मगर पता नहीं क्यों,आज मुझे खुद की,
अपनी इस जिंदगी से बाहर निकलने का बहुत मन कर रहा है!
हो भी क्यों ना क्योंकि मैंने अपनी पूरी जिंदगी हंटर के इशारों पर बिताई हैं! 

पता मुझे भरोसा नहीं रहा अब रब पर,
आखिर ना जानें क्यों! पैदा हुआ था मैं,
जब मेरी जिंदगी मेरी खुद की नहीं !
इशारों के इशारों पर नाचते - नाचते मुझे अब आदत हो गई है,
अब ढेरों तरकीबें ढूढ़ लेता हूं लोगों को हसानें की, उनका दिल बहलाने की!

पता है मैं रोता भी हूं, तो भी दर्शक हसंते है,तालियां बजाने लगते है क्योंकि उन्हें लगता है "जोकर" कोई नई कला या कोई नया खेल दिखा रहा है!
ख़ैर ! लोग हसंते है,खुश होते है इससे बड़ा ईनाम एक "जोकर" को क्या चाहिये,

पता है मैं भी आजादी चाहता हूं,मेरा भी सपना था सभी की तरह पढ़ने का,आगे बढ़ने का,कुछ नया और बड़ा करने का,
पता मेरा अभी भी मन करता है कि मैं कागज वाली जहाज़ पानी में चलाऊं, मैं भी बहुत सारे दोस्त बनाऊं, मैं भी सबकी तरह अपना जन्मदिन मनाऊं, मैं भी खेलना चाहता हूं गिल्ली डंडा, छुपन छुपाई और सारे दोस्तों को अपने चाकलेट बांटना चाहता हूं, 

काश ! मैं अनाथ नहीं होता, 
काश! मेरा भी परिवार होता, 

मेरे भी माता - पिता, भाई - बहन होते तो मैं भी उनसे लड़ता - झगड़ता और यदि मेरा बचपन होता तो मैं  अपनी ये सारी ख्वाहिशें पूरी करता!
मगर रब को तो मुझे "जोकर" ही बनाना था, ख़ैर!

मगर मैंने भीख़ नहीं मांगी और ना ही चोरी की और ना किसी से कुछ छीन करके अपना पेट भरा बल्कि मैंने मेहनत करने का फ़ैसला लिया और जिंदगी को सर्कस के लिये न्योछावर कर "जोकर" बन गया!

पता हैं मैं अभी भी नहीं जानता कि मेरी और आप सभी की जिंदगी में क्या समानता क्या असमानता है मगर मैं सचमुच दुःखी,गिरी हुई सोच वाले और निचली मानसिकता वाले इंसानों की तुलना में खुद को बहुत अमीर समझता हूं!

बड़ा मुश्किल होता है अपनी ज़िन्दगी दूसरे को सौंप करके अपने जीवन का मालिकाना हक़ किसी और को सौंप देना! 
मगर क्या करू कोई और रास्ता भी नहीं है मेरे पास और  कुछ दूसरा काम भी नहीं आता मुझे!

लेकिन, मुझे लोगों को खुश रखना आ गया और मैं बहुत प्रसन्न हूं क्योंकि मैंने इसी को अपने पेट पालने का जरिया बना लिया!
माना आप सभी की तरह नहीं है मेरे पास पैसे,परिवार,पहुंच,सपने,अपने,खुशियां,मुस्कुराहट,इज्ज़त,उम्मीदें और दोस्त!

मगर मैंने अपने आपको ख़ुश रखने के लिये ही अपनी जिंदगी को सर्कस बनाया हैं!

इशारों के साथ मेरी ज़िन्दगी का खेल शुरू होता है और आपके चेहरे की मुस्कुराहट के साथ ख़तम होता है!

बस एक बात का अफ़सोस हैं कि मैं कभी भी खुद के लिये,खुद के साथ खुद की जिंदगी खुद के इशारों पर नहीं जी पाया!
मगर दुःखी इंसानों बच्चों, बूढों सबको खुश रखता हूं और ये काम मेरे अलावा कोई और नहीं कर सकता और ना ही करना चाहेगा क्योंकि "जोकर" 'जो कर' सकता हैं वो और कोई कभी नहीं कर सकता !

और हां! मैं इकलौता हूं जो इस दुनिया का सबसे बड़ा, अच्छा और हिम्मती काम करता हूं!
क्योंकि "जोकर" हूं मैं!
और मैं अब खुश और संतुष्ट हूं!


                                     -©® शिवांकित तिवारी "शिवा"

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