साहित्य चक्र

04 January 2020

पिता हैं तबले की थाप

** जिंदगी का सार हैं पिता**


पिता हैं हारमोनियम के तार जैसे,
पिता हैं तबले की थाप जैसे,
पिता हैं बांसुरी के छेद जैसे,
पिता हैं गीतों के बोल जैसे
पिता हैं कविता के छंद जैसे...


पिता ही बेटे की शान हैं
पिता ही बेटी का अभिमान हैं
पिता से ही माँ की मुस्कान है...


पिता ही रातों की नींद हैं,
पिता ही दिन का सुकून हैं,
पिता ही बारिश की छतरी हैं,
पिता ही खस की ठंडक हैं
पिता ही अलाव की गर्मी हैं...।


पिता ही तलवार की ढाल हैं
पिता ही कलम की धार हैं,
पिता ही घर की छत हैं...।


जी हाँ,
पिता  महान  है...
पिता ही घर भर की शान हैं
अम्मा धरती है तो,
पिता आसमान हैं
पिता महान है,पिता महान हैं...।


                                           रीमा मिश्रा


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