हर पल खुद से सवाल करती हूं,
ज़िन्दगी के इस सफर में,
आख़िर मै कौन हूं ?
मोह माया जो अपनों से है,
क्या वो डोर हूं मैं,
इस सृष्टि के बनाए बंधन से बंधे,
क्या वो बंधन हूं मै,
सुख दुःख की साथी,
या सिर्फ कोई कल्पना हूं मै?
आख़िर कौन हूं मैं ?
एक लेखक के जज़्बात,
क़लम की स्याही हूं मैं,
मन के एहसास ,
या अपने ही ख़यालो की रानी हूं मैं,
आख़िर कौन हूं मैं ?
महकते फूलों की खुशबू,
या अजन्मी कली हूं मैं,
मिट्टी के जीव,
या खुद मिट्टी की मूरत हूं मैं,
आख़िर कौन हूं मैं ?
पर्वत की चोटी,
आसमान के बादल,
बारिश की बौछार,
सर्द हवाएं या गर्मी का कहर,
क्या कोई बदलता मौसम हूं मैं,
आख़िर कौन हूं मैं ?
रगों में बहता लूह,
या शरीर का कोई अंग हूं मै,
चल रही सृष्टि जिससे ,
क्या ऐसी कोई शक्ति हूं मैं
आख़िर कौन हूं मैं ?
आख़िर कौन हूं मैं ?
निहारिका चौधरी
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