I
मेरी इबादत..!
तेरी मोहब्बत हो गई।
मेरे दिल की हुकूमत..!
तेरे दिमाग की बगावत बन गई।।
II
ज़रा हल्की-सी नजरें क्या मिली ?
तुम से मोहब्बत हो गई।
देखते ही देखते वो मेरी
हर रोज की इबादत बन गई।।
III
मैं पागल-सा रहता हूं।
कुछ लोग इसे मेरी कमजोरी समझ बैठे हैं।
माँ कसम लोग अपनी गलती कभी मानते ही नहीं।।
IV
मैं हर किसी से कहता हूं।
मैं राजी-खुसी ठीक-ठाक हूं।।
मगर मेरी बात पर कोई विश्वास ही नहीं करता,
बताओ मैं क्या करूं ?
V
तेरे इश्क का कतरा-कतरा मेरा अश्क बन बैठा है।
VI
जब तुम भलीभांति जानती हो।
खुदकुशी करना गुनाह है, तो
फिर मेरी मोहब्बत का तुम
हर रोज गला क्यों घोटती हो।।
कंचनदीप
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