तेरे इश्क में मैं कुछ इस कदर दीवानी हो गई
कि रब की तो छोड़ो
मैं खुद से भी कुछ यूं बेगानी हो गई।
कि जब झुकाया सर सजदे में मैंने
तो इबादत में तेरा नाम लेने की नादानी हो गई।
या रब माफ करना मेरी इस गुस्ताखी को
क्योंकि, तेरे ही बनाये नायाब तोहफे
मोहब्बत की मैं कद्रदानी हो गई।
।। सोनम प्रजापति ।।
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