साहित्य चक्र

04 January 2020

सोनम की कविता

तेरे इश्क में मैं कुछ इस कदर दीवानी हो गई
कि रब की तो छोड़ो
मैं खुद से भी कुछ यूं बेगानी हो गई।

कि जब झुकाया सर सजदे में मैंने
तो इबादत में तेरा नाम लेने की नादानी हो गई।

या रब माफ करना मेरी इस गुस्ताखी को
क्योंकि, तेरे ही बनाये नायाब तोहफे 
मोहब्बत की मैं कद्रदानी हो गई।

                                              ।। सोनम प्रजापति ।।

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