साहित्य चक्र

15 May 2020

अगर मखमल करे गलती




कहां पर है बोलना कहां बोल जाते है।
जहां ख़ामोश रहना है, वहां मुंह खोल जाते है।

कटा एक शीश सैनिक का तो हम ख़ामोश रहते है,
मगर मां बाप कुछ बोले तो बच्चे बोल जाते है।

अगर मखमल करे गलती तो कोई कुछ नहीं कहता,
फटी चादर कीहो गलती तो सारे बोल जाते हैं।

बनाते फिरते हैं रिश्ते जमाने भर से.. अक्सर, 
मगर जब घर जरूरत हो तो रिश्ते भूल जाते हैं। 

कहां पर बोलना है कहां बोल जाते हैं,
जहां खामोश रहना है वहीं मुंह खुल जाते हैं ।

                                                                नूपुर 


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