साहित्य चक्र

24 May 2020

चीन की चालाकी



सब देख समझ लिया सबने कुछ न रहा अब बाकी
सारी दुनिया जान गयी अब तो चीन की चालाकी


लोगों को डाला मौत के मुँह में महामारी थी 
दुनिया पर शासन की चीन की पूरी तैयारी थी
लेकिन खुद भी डूब रहा विषाणुओं के सिंधु में
झेल रहा अपनी करनी अब तो चली नहीं तैराकी..
सारी दुनिया जान गयी अब तो चीन की चालाकी..

खेला राजनीति का खेल घिनौना
पर वो ख़ुद भी बन बैठा खिलौना
प्रहार जो दुनिया पर किए चीन ने
फंसा स्वयँ ही लोभी चीनी साकी
सारी दुनिया जान गयी अब तो चीन की चालाकी..

दुनिया से धोखा कर अपना स्वभाव दिखाया
अपनी घटिया-सस्ती चीज़ों का गुलाम बनाया
त्राहि त्राहि फैलायी जग में नापाक इरादों से
परंतु धरी की धरी रह गयी उसकी भी धाकी
सारी दुनिया जान गयी अब तो चीन की चालाकी..

देखियेगा एक ना इक दिन तो आयेगा
जब चीन भी घुटने टेकेगा सिर झुकायेगा
दुनिया के आगे बिलखेगा बेबस होकर
निकलेगी विश्वभर में चीन के कुकर्मों की झाँकी
सारी दुनिया जान गयी अब तो चीन की चालाकी..

                                     अनामिका वैश्य आईना


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