मिट्टी का घड़ा बनाया,
कुम्हार ने गढ़ कर
अपनी कला का
बेहतरीन प्रदर्शन करके
आग की भट्टी में तापाया
मिट्टी से सोना बनाया
जैसे गुरु शिष्य को ज्ञान दे कर
ज्ञानरूपी प्रकाश फैलाया
वैसे ही कुम्हार गुरु की तरह
ऊपर से मारे चोट शिष्य को
अन्दर प्यार से सांवरे घड़े को
एक दिन एक मजदूर औरत आती
मोल भाव करके मिट्टी के घड़े को ले जाती
दिन भर दुपहरिया में,
खेतों में काम करती
खाना खाकर अपनी,
और बच्चों की प्यास बुझाती
कुछ दिन व्यतीत होते,
भूख प्यास से बच्चे तड़पते
क्रोध में घड़े को पटक देते,
मिट्टी का घड़ा मिट्टी,मे मिल जाता,
जल के बिना प्यासा,जीवन रह जाता
मिट्टी की भी अजब कहानी
सुनी साथियों ने मेरी जुबानी
शिवशंकर लोध राजपूत
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