साहित्य चक्र

24 May 2020

कोरोना प्रकृति के लिए वरदान



जंगल की शांति और हरा भरा वातावरण।
बस यही तो है असली पर्यावरण।

सुकून मिलता है जहाँ दिल को।
मिलती है एक शांति मन को।।

न हॉर्न की आवाज,न कारों का धुआं।
बस हर तरफ हरियाली ही हरियाली।

प्राकृतिक फल और फूल जो पिज्जा और 
पास्ता से ज्यादा मूल्यवान है।

हमें जरूरत है इस पर्यावरण को बचाने की
और इस पृथ्वी को हरा भरा खुशहाल बनाने की।

आज कोरोना के डर से हुए लॉक डाउन ने
प्रकृति को प्रदूषण मुक्त कर दिया है।

                                                      संध्या चतुर्वेदी 


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