साहित्य चक्र

12 May 2020

वो मुस्कुराहट कितनी हसीन थी

गजल
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ये दिल क्यूँ मचलती रही रातभर
नींद भी गायब रही रातभर।।

वो तस्वीर जो पहली मुलाकात की
बार बार सामने आती रही रातभर।।

वो मुस्कुराहट कितनी हसीन थी
बार बार याद आती रही रातभर।।

वो शिकायत भरी जो बाते थी तेरी
बार बार रूलाती रही रातभर।।

हँसना चिढाना और प्यार करना तेरा
मुझको दिवाना बनाती रही रातभर।।

वो तेरी सादगी और अल्हड़पन तेरा
बार बार चिंतन बढ़ाती रही रातभर।।

                                    आशुतोष 


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