वजहें तो यूं ही बहुत हैं साहिब आपकी
इस बेरहम दुनिया में मरने के लिए,
सच बताना,
मेरा यूं मास्क लगाना क्या सच में जरूरी है ?
देख ली तुम्हारी नीयत और अपनी फजीहत,
सच बताना, मेरा इस दुनिया
में रहना क्या इतना गैरज़रूरी है ?'
जानती हूं कि फिलहाल सबका
पूरा ध्यान केवल मास्क और
सैनेटाईजेशन पर ही है तो
कई बार नहीं ध्यान रहती ,
रेल की पटरियां,
पुलिस के डंडो से डरकर भागने में टूटी
चप्पलों की जगह पैरों में कपड़े की
कतरनों से बांधी गई प्लास्टिक की बोतलें,
पैरों के रिसते घाव,
बैल की जगह जुतकर जाता आदमी,
कंधे पर लदकर जाते बच्चे,
साइकिल, सूटकेसों पर सोते बच्चे !
नहीं ध्यान रहते, हो जाता है,
लेकिन मास्क और सेनेटाईजेशन
को भूलकर भी न छोड़ें !
बच जाऐंगें !
रीमा मिश्रा "नव्या"
बहुत खूब
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