खौफ़ ए जिंदगी का मज़ा भी लीजिए,
सजा भूल की भी अदा देख लीजिए,
जिंदगी किसे कहते हैं इसे खुद जानिए,
मै जो कहता हूँ उस को भी खुद मानिए,
इस दरो दीवार को गौर से खूब पहचानिए,
गुरबत में भी जीने का सलीका भी सीखिए,
यार दोस्तों से रंगरेलियां मत खेला कीजिए,
वक्तकी तकल्लुफ़ को जरा पहचान लीजिए
प्यार की रवायत को जाना समझा कीजिए
रंजो गम को जरा दिल में छुपाया कीजिए।
डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन
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