साहित्य चक्र

26 May 2020

स्त्री...



 मिट्टी के जलते चुल्हे पर
    गर्म  तवे सी है 
              . . . . . स्त्री ।

जेठ की दुपहरी में
किसान के नंगे तलवे सी है 
             . . . . . स्त्री ।

सहनशीलता की घड़ी में
गिर गिर कर उठने वाली मकड़ी सी है 
             . . . स्त्री ।

जीवन के उलझे रहस्यों की खोज में
   सुलझे शमशान  सी है 
           . . . . स्त्री ।

मुसीबतों की धूप में
   पीपल के पेड़ की घनी छांव सी है 
       . . . . . स्त्री ।

गति के पडा़व में 
    पानी के बहाव सी है 
          . . . . . स्त्री ।

कर्म की श्रेष्ठता का परिचय देने में
   कृष्ण  के गीता सी है 
        . . . . .स्त्री ।

संस्कार के मुल्यों में
   राम के सीता सी है 
       . . . . . स्त्री ।

धर्म पालन की निष्ठा संजोने मे
   सती अनुसुईया सी है 
       . . . . . स्त्री ।

प्रेम की पराकाष्ठा में
   राधा के चरनों की भभूति सी है 
          . . . . . . स्त्री ।

ईश्वर की सभी कृतियों में
  सबसे विरक्त अनुकृति सी है 
     . . . . . स्त्री ।

हे पुरुष ! तुम्हारे जीवन में
   महान विभूति सी है 
         . . .  . .स्त्री ।

अन्धकारमय जीवन में
   प्रकाशमय ज्योति सी है 
       . . . . . .स्त्री ।

पतिव्रता की सिरत में
  सावित्री सी है
           . . . . स्त्री ।

निर्भिकता कि मुरत में
   रानी लक्ष्मीबाई सी है 
         . . .  . . स्त्री ।

क्षमा के प्रागंण में
  मां के आंचल सी है 
      . . . . .स्त्री ।

बंजर जमीन की मांग में
  सिधूरी बादल सी है 
     . . . . . .स्त्री ।

प्रतिशोध की अग्नि में
 मां काली सी है  
     . . . . स्त्री ।

सुख शांति के आंगन में
  रोशनी वाली दीवा‍ली सी है 
       . . . . .  स्त्री ।

  सभी के सुख दुख में
    सहेली सी है 
    . . . . . स्त्री ।

परन्तु हिन्दी साहित्य में
  खूसरो के पहेली सी है 
      . . . . . स्त्री ।
         
                                         कंचन तिवारी "कशिश"


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