साहित्य चक्र

24 May 2020

विकास ही नज़र आयेगा



 फिर भी देश वासियों , 
 किसे क्या ....नजर आएगा।
 विकास  ही नज़र आयेगा | 

आज़ादी  के  मूल्यों का ,  
देश क्या -क्या  मूल्य  चुकायेगा |

अब तक देश ही जानता है |
राजनीतिक दलों द्वारा, 
कितना घसीटा  जायेंगा |

फिर भी देश वासियों, 
विकास ही नज़र आयेंगा |

सभ्यता की आड़ में  ,
विदेशी रंग  चमचमायेंगा |

अपना देश गंदा, 
विदेश साफ ही नज़र आयेंगा |

मेरा भारत  झाड़ू  पकड़ के, 
स्वच्छता अभियान  चलायेंगा |

फिर भी देश वासियों, 
विकास ही कहलायेंगा |

शिक्षा  जो आधार है, 
एक  देश के  विकास का |

मानवता के बौद्धिक उत्थान का |
आरक्षण से कौशल का ,
नाश कर जायेंगा |

योग्य  रह जाएंगा पीछे, 
सरकारी पदों पे, 
आरक्षण का कोढ़ चढ़ आयेंगा |

फिर भी देश वासियों, 
अपने फायदों के लिए
विकास ही नज़र आयेंगा |

कानूनों को अनुछेदों  में रखकर |
रिश्वत का  कानून बन जायेंगा |

जुर्म, अत्याचार, बलात्कार का, 
ग्राफ चाहे, कितना भी बढ़ता ही जायेंगा |

 फिर भी देश वासियों ,
विकास ही नज़र आयेंगा |

नैतिकता के मानों पर, 
सकींर्णता के पैमाना लग जायेंगा |

वेदों की  जगह , 
मैजिक बाबा आ जायेंगा |

मन की  शांति  का  तो  पता  नही |
पर शांति  संग पकड़ा जायेंगा |

 फिर भी देश वासियों,
 विकास ही नज़र आयेंगा | 

झूठ  के  पीछे भीड़  होगी |
सच अकेला  रह जाएगा |

जीवन की  इस दौड़ में, 
आदमी  मशीन  बनकर रह  जायेंगा |

कोई समझेगा उसे ,
यह सोच सपना  बनकर रह  जायेंगा |

फिर भी देश वासियों, 
भाषणों में
विकास ही नज़र आयेंगा |

सरकार की नीतियों के फेर-बदल में, 
आम आदमी पिस कर  रह  जायेंगा | 

मेरे जैसा कोई भुलक्कड़ ,
जमा किया, एक हज़ार,
रख कर भूल जायेंगा |
दूसरी तरफ रुपैया बदल जाएगा।

फिर मिलने पर उन  ,
कागज़ के टुकड़ों  से  क्या  पायेंगा |
काला धन मिला  या नहीं |
किसी गरीब  का एक सिक्का  भी जायेंगा |

फिर भी देश वासियों, 
विकास ही नज़र आयेंगा |

जो  समाज में चाहते है ,
बदलाव आयें  |

वो चर्चाये ,विवादों  तक ही  रह जायेंगा |
जिनकी कोई नहीं  सुनता |

वो  विचारवान फेसबुक पर  नज़र  आयेंगा |
गूग्गल जिस विकास को ढूँढ रहा है |

वही विकास, 
विकास  को खोजता नज़र आयेंगा |

कुछ इस तरह से विकास, 
विकास कर  पायेंगा |
एक दिन विकास जरूर जीत जायेंगा | 
स्वरचित रचना

             प्रीति  शर्मा "असीम" 


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