अम्बेडकर एक नाम नही ,एक विचार हैं ।
कुचले-दबे समाज का उबला ज्वार हैं ।
पढ़ लिया जिसने ,वही प्रकाश बन गया ,
भीम की सब पुस्तकें , बिजली का तार है ।
लील जाता धर्म का पाखण्ड देश को,
भीम इन की राह की ऊंची दीवार है ।
छोड़कर हिन्दू धर्म , सन्देश यह दिया ,
बुद्ध ही बहुजन तेरी ,मुक्ति का द्वार है ।
ज्ञान अपना धर्म है और जात है शोषित ।
तर्क के शस्त्र उठा , दुश्मन की हार है ।
बुद्ध की वो राह और बाईस प्रतिज्ञा ,
ज्ञान का ,सम्मान का ,जीवन का सार है ।
हैं भीम के ऋणी और क़िस्त मन्दिर में ?
परवरिश, शिक्षा गलत , बुद्धि विकार है ।
भीवा कबीर
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