क्या होता है प्यार?
किसी को बेहद,
दिल से चाहना!
किसी का,
करना बेसब्री से इंतजार !
किसी की यादों में हंसना
या किसीको याद करके,
अश्रु बहाना!
या फिर बिन बोले ही,
सब कुछ समझना !
या सब कुछ जानकर भी,
अनजान बनना!
छोटी-छोटी बातों पर,
गुस्सा दिखलाना!
एक सुखद एहसास भर के लिए,
चुप रह जाना!
रूठना और मनाना...
या कुछ और रूप अजाना!
अगर यही प्यार है..
तो फिर वह क्या था ?
जो श्रीराम ने,
माता सीता से किया था!
जो वसुदेव ने,
रुक्मणी से किया था!
जो कान्हा ने,
राधा से किया था!
जो मीराबाई ने,
मोहन से किया था!
और जो मैं तुमसे करती हूं?
वह भी किसी,
अलौकिक प्यार से कम नही ...!
शाश्वत है,
सार्वभौमिक सत्य है !!
प्रज्ञा मिश्रा
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