साहित्य चक्र

06 August 2021

।। रंँग राहु ।।

मैं राहु हूं
सबको राह दिखाता हूं।

सबको राह पर
लेकर भी आता हूं।

मैं मस्त,अलबेला,अनभिज्ञ हूं
शनिदेव का मैं संगी हूं
अन्याय का तभी भंगी हूं।

शनि के साथ मिल
न्याय चक्कर चलाता हूँ।

साढ़ेसाती में
देख दुष्ट पापियों को
हंसता मुस्कुराता हूँ।

मैं राहु हूँ
जीवन में नए-नए रंग
लेकर आता हूं
तभी तो  हूं
रंँग राहु हूँ।

                                    राजीव डोगरा 'विमल'



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