साहित्य चक्र

29 August 2021

एक कहानीः मदद !


आज भी वो पुलिस अंकल बेचारे गरीब की कमाई पर अपना हक जता गए। आखिर कितना कमा लेता होगा वो बेचारा क्या उसके कमाई से उसका घर परिवार चल जाता होगा जहाँ तक मैं सोच रही हूँ हमारे एक दिन का खर्चा उसके दिन भर की मेहनत की कमाई होगी वो बेचारा गरीब अपने बच्चो को पढ़ाता कैसे होगा 12 वर्ष के छोटी सी बच्ची के छोटे से मन में ढेरों सवाल चल रहे थें एक अच्छे बड़े परिवार की बड़ी ही दयालु व अच्छे स्वभाव की लड़की थीं पूजा।



जब भी कुछ सोंचती अच्छा ही सोचती सबकी लाडली और सबके दिल पर राज करनें वाली लड़की थी पूजा वह किसी का भी दुःख नहीं देख सकती थी और जितना हो सके उतना दूसरे की मदद के लिए आगे रहती। वो करीब 8 वर्ष की थीं घर से निकलते ही सामने चौराहे पर वह अक्सर एक गरीब को अपने पुराने से ठेले में बहुत सारी बच्चो के खाने पीने की चीजें बेचते हुए देखती थीं और वो भी कई बार उस ठेले वाले से अपने लिए मीठी गोलियाँ ओर पपड़ी लेकर खाती थीं वह ठेले वाला भी उसे पहचान गया था क्योकि वह उसकी रोज की ग्राहक थीं जिस दिन वह नहीं आती तों उसे ऐसा लगता जैसे उस दिन बिक्री हुई ही नहीं है।

वैसे तो सारे बच्चे बड़े शौक से उसके पास से खाने की चीजें लेते थे।उसकी दिनचर्या चल सके शायद उसकी कमाई वैसे हो ही जाती थीं ।पूजा को यह सब देखते पूरे 4 वर्ष हो गए थे और पूजा ने ऐसा शायद ही कभी उस ठेले वाले के पास समान न खरीदा हो वह उसका रोज का काम बन गया था पूजा देखती थीं कि कैसे वो गरीब ठेले वाला एक एक पैसे की गिनती करता और जेब में रखता था।


पूजा को उसके ऊपर बहुत दया आती थीं और वह उस पर गर्व भी करती थी उसकी मेहनत देखकर लेकिन वह वो पुलिस अंकल से बहुत परेशान थी हफ्ते में दो दिन वह उसकी पूरी कमाई ले जा लेता पूजा को यह सब बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। एक दिन पूजा अपनें पापा रोहित को ये सब बातें बताती है ।रोहित जो कि पेशे से कलेक्टर था।


यह सब बातें सुनकर उसे भी बहुत बुरा लगता है बेचारे उस गरीब के लिए रोहित अपनी बेटी पूजा से कहता है पूजा बेटा हमें उस गरीब की मदद करनी चाहिए जी पापा जी पूजा चहकते हुए कहती हैं ।


रोहित अपनी बेटी का दरियादिली देखकर पीठ थपथपाता है और शबासी 
देता हैं और कहता है मुझे तुम पर नाज हैं पूजा बेटी। गरीबों के लिए तुम्हारी सोच और इतने अच्छे विचार देखकर आज मैं बहुत प्रसन्न हूँ।


तब पूजा कहती हैं तो फैर पापा अब आप बताओ कि वो गंदे पुलिस अंकल को सजा मिलेगी ना। बिल्कुल बेटा, रोहित अगले दिन ही पुलिस वाले को पकड़कर उसे गरीबो को परेशान करने के जुर्म पर सजा देता है और कहता है कि तुमने बेचारे उस ठेले वाले को बहुत परेशान किया है तुमने उसके पास से जितना पेसा लिया हैं वो सबका तुम उसके लिए समानो से भरा एक नया ठेला लाकर उसे दोगे।


और आगे से फिर कभी किसी गरीब को परेशान नहीं करोंगे। वह पुलिस वाला कान पकड़ कर माफी मांगता है ओर जी सर बोलकर निकल जाता है। वह उसी दिन समानो से भरा नया ठेला  लाकर उस गरीब आदमी को देता है ओर उसे माफ़ी मंगता हैं।


वह ठेले वाला पूछता है कि आखिर आपका ह्रदय परिवर्तन कैसे हुआ साहब। तो वो पुलिस वाला कहता है अरे वो तुम्हारे पास वो कलेक्टर की बेटी समान लेने आती हैं ना कौन साहब आप पूजा बिटिया की बात कर रहे हैं क्या ?

साहब बड़े ही नेक दिल बच्ची हैं वो पुलिस वाला खीझते हुए हाँ-हाँ वही उसने अपने पापा से डपट लगा दी मेरी फिर साहब फिर क्या यही कारण हैं मेरे ह्रदय परिवर्तन का, वो गरीब ठेले वाला उस कलेक्टर और पूजा बिटिया का बहुत बहुत आभार प्रकट करता है।


और खुशी-खुशी अपना नया ठेला अपने घरवालों  को देखाने ले जाता है।पूजा दूर खड़ी हो सब देख रहीं होती हैं और घर आकर ख़ुशी से झूमने लगतीं हैं। अपने की करो या पराये की खुशी तो किसी की मदद करने से ही मिलतीं हैं।



                              निर्मला सिन्हा




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