साहित्य चक्र

08 August 2021

आये माँ के द्वारे


आये हमसब माँ के द्वारे,
 अर्जी आज लगाने।
तुम भी आओ माँ के द्वारे,
छोड़ो सभी बहाने।


माता गिरियों में बैठी है,
पर सबकी सुनती है।
श्रद्धा से  जो उन्हें पुकारे,
सुनती सब विनती है।
जिस घर होता है जगराता,
गाते माँ के गाने।
आये हमसब माँ के द्वारे,
 अर्जी आज लगाने।


माँ ममता की मूरत होती,
करती इच्छा पूरी।
होते बड़े अभागे वो नर,
 रखते माँ से दूरी।


लेकर हम फूलों की माला,
पहुँचे तुम्हें  सजाने।
आये हमसब माँ के द्वारे,
 अर्जी आज लगाने।
तुम भी आओ माँ के द्वारे,
छोड़ो सभी बहाने।।


                              ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम


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