किसने सोचा होगा कि
एक दिन ऐसा इतिहास लिखा जाएगा,
पूरी दुनिया में सबसे बड़ा
भारत का संविधान लिखा जाएगा ?
किसने सोचा होगा कि
ये संविधान सबको समान सम्मान अधिकार देगा,
स्त्री हो या पुरुष, हर वर्ग, हर धर्म
भारतीय संविधान का अनुयायी होगा ?
किसने सोचा होगा कि
गुलामी स्वीकार ना करके वो विरुद्ध खड़ा होगा,
संविधान लिखने वाला उच्च वर्ग से नहीं
शूद्र वर्ग से ही होगा ?
किसने सोचा होगा कि
माता भीमाबाईं की कोख से ऐसा शेर पैदा होगा,
सूबेदार रामजी की अंगुली पकड़कर
वर्ण व्यवस्था का विनाश होगा ?
किसने सोचा होगा कि
जिसे विद्यालय में पानी तक पीने नहीं दिया गया,
अछूत कहकर अपमानित किया गया
वहीं महाड़ तालाब के दरवाजे खोलेगा ?
किसने सोचा होगा कि
समाज के लिए इस तरह वो डटकर खड़ा होगा,
हर पीड़ित के अधिकार के लिए लड़ेगा
एक दिन ऐसा वो इतिहास रचेगा ?
किसने सोचा होगा कि
जिस बच्चे को पढ़ने से रोका गया,
जो कक्षा के बाहर चप्पलों पर बैठकर पढ़ा
वहीं भीमराव आंबेडकर संविधान निर्माता होगा ?
नीरज सिंह कर्दम
निशब्द....
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