साहित्य चक्र

07 August 2021

तेरा वक्त भी आएगा


क्यों निराश चुपचाप है बैठा, 
ऐसे क्या कर पायेगा..

उठ मुस्कुरा चल छोड़ दे चिंता,
तेरा वक्त भी आएगा...

किसको नहीं है गम दुनिया में,
कौन यहां संपूर्ण है।

किसके दिल में दर्द नहीं है,
कौन यहां परिपूर्ण है।

छोटी छोटी खुशियों से भी..
दिल तेरा भर पाएगा,
बस कर अब ना सोच ज्यादा,
तेरा वक्त भी आएगा।

आंखों में जो आए आंसू,
सोच कर खुद ही पोंछ लेना.. 
कोई ना आए हाथ बढाने,
मन में ऐसा सोच लेना..
मजबूर होगा तुझसे भी ज्यादा,
वरना क्यों कतराएगा।

बोझिल ना हो इन बातों से,
तेरा वक्त भी आएगा।

किसी की परिस्थिति को तू आंकना मत,
जिंदगी में किसी के तू झांकना मत..
ईष्या द्वेष से रहना दूर.. 
सुकून से जी पाएगा।

राही है तू सही डगर का,
तेरा वक्त भी आएगा..
उठ मुस्कुरा चल छोड़ दे चिंता,
तेरा वक्त भी आएगा।


                                   अपराजिता मेरा अन्दाज़

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