साहित्य चक्र

21 August 2021

आजादी एक सपना है।



आजादी आज भी एक परिकल्पना है।
स्वतंत्र भारत अब भी बस एक सपना है।
गुलामी अब अंग्रेजों की नहीं है
बे रोजगारी और भ्रष्टाचार की है।

    कश्मीर की है, लद्धाख की है
   क्रंदन करते यू पी और बिहार की है।
आजादी की लड़ाई में
आंदोलन और कुर्बानी में।

    आजाद भारत वो नवयुवक था
    जो क्रांतिकारियों के मन में था।
वो नवयुवक अब प्रोढ़ हो गया है
अवहेलना सहकर मौन हो गया है।

     अंग्रेजी भाषा, विदेशी शिक्षा
     ग़रीबी, अज्ञानता और अशिक्षा।
उसको पग पग बढ़ने से आगे रोक रहे हैं
आरक्षण के नाती, पोते, उसको टोक रहे हैं।

      नहीं कोई भाषा है उसकी
          ना ही कोई बोली।
संगी साथी कोई नहीं
कोई नहीं हमजोली।

       निडर होकर, जो ध्वज उठाए
       स्वार्थ तजे भारत को लाए।
जनता की जब आंख खुलेगी
आजादी भी तभी मिलेगी।


                                          अर्चना त्यागी


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