प्लास्टिक को मनुष्य एक वरदान समझता है, परंतु प्लास्टिक लगातार मानव के जीवन में जहर घोल रही है। मानव ने जब प्रकृति माता की गोद में आंखें खोली तो उसने अपने चारों ओर खुशहाली, हरियाली, निर्मल जल, स्वच्छ वायु का वरदान पाया था। उसका पेड़- पौधों, फल,फूलों, पक्षियों से एक अलग ही संबंध बन गया था। प्लास्टिक एक कृत्रिम पदार्थ है, जिसका निर्माण पेट्रोकेमिकल से किया जाता है। प्लास्टिक मानव के लिए सबसे उपयोग पदार्थ बन गया है, प्लास्टिक को बेकलाइट भी कहा जाता है।
मनुष्य प्लास्टिक को वरदान समझते हैं ,परंतु यह एक हानिकारक पदार्थ है ।प्लास्टिक का उपयोग मनुष्य कई प्रकार से करता है इसका एक बार उपयोग करके इसे फेंक देता है ,जिससे पर्यावरण में प्रदूषण फैलता है। हमें पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए प्लास्टिक का कम - से- कम उपयोग करना चाहिए ।हम जितना कम प्लास्टिक का उपयोग करेंगे ,उतना ही कम प्रदूषण फैलेगा और यह हमारे लिए बेहतर रहेगा। प्लास्टिक से मनुष्य के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। हमें प्लास्टिक के प्रति जागरूक होकर दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना है।
प्लास्टिक का आविष्कार सबसे पहले बेकलैंड ने किया ।उन्होंने न्यूयॉर्क में हडसन नदी के किनारे पर एक घर खरीदा था। बेकेलैंड ने अपना समय बिताने के लिए अपने इस घर में एक लैब बनाई थी। उन्होंने सन् 1907 में फॉर्मल डेहाइड और फेनोल जैसे केमिकलो के साथ समय बिताते हुए प्लास्टिक का आविष्कार किया। प्लास्टिक को उन्होंने बैकलाइट कहा था ।प्लास्टिक शब्द लैटिन भाषा के प्लास्टिक्स तथा ग्रीक भाषा के शब्द प्लास्टिकोस से लिया गया है।
आजकल प्रत्येक क्षेत्र में प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा है। प्लास्टिक मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। प्लास्टिक का उपयोग बच्चों के खिलौनों से लेकर रसोई, बाथरूम, इलेक्ट्रिक उपकरणों, एरोप्लेन, कारों, क्रोकरी, फर्नीचर, कंटेनर, बोतले, पर्दे आदि का उपयोग बढ़ गया है। प्लास्टिक का उपयोग सबसे ज्यादा इसके गुणों के कारण हो रहा है,जैसे कि प्लास्टिक हल्की होती है। प्लास्टिक पर जल, अम्ल क्षार का प्रभाव नहीं होता है तथा यह सरलता से साफ हो जाती है।
देखने में सुंदर लगने के साथ ही इस पर दीमक का प्रभाव नहीं होता है। फर्नीचर बनाने में प्लास्टिक का भी उपयोग किया जा रहा है। हमें ज्यादा से ज्यादा कोशिश करनी चाहिए कि हम प्लास्टिक का कम- से -कम उपयोग करें। प्लास्टिक का उपयोग करने के नुकसान भी हो रहें है। प्लास्टिक का उपयोग करने से हमारे पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। प्लास्टिक कचरा हमारे पर्यावरण के लिए एक गंभीर संकट बन चुका है। प्लास्टिक के रंगीन थैलों का सबसे ज्यादा उपयोग किया जा रहा है।
इन थैलों में ऐसे रसायन होते हैं, जो जमीन में पहुंच जाते हैं और इससे मिट्टी को नुकसान होता है। जबकि मिट्टी हमारे लिए बहुत उपयोगी है। प्लास्टिक को रि-साइक्लिंग करने के दौरान उत्पन्न होने वाला धुआँ वायु प्रदूषण फैलाता है। यह धुआं हवा में मिलकर हमारे सांस द्वारा शरीर में पहुंच जाता है और अनेक बीमारियां उत्पन्न करता है जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक है। जल मानव जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण पदार्थ है, परंतु हम प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का उपयोग करके उन्हें पानी में बहा देते हैं। यदि जल नदियों, समुंदरों, तालाबों, में मिल जाता है। जिससे जल प्रदूषण होता है। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए ।
प्रदूषित जल और वायु का उपयोग करने वाले वनस्पति फिर उसका सेवन करने वाले पशु पक्षी भी दूषित हो रहे हैं। प्रदूषण ने सारे जंतुओं के भोजन को भी प्रदूषित कर दिया है। प्लास्टिक से खाद्य प्रदूषण भी हो रहा है। प्लास्टिक हमें हर प्रकार से क्षति पहुंचा रही है। प्रदूषण को कम भी किया जा सकता है । हमें प्लास्टिक को इधर-उधर नालियों ,नदियों ,सड़कों पर नहीं फेंकना चाहिए ।
हमें अपने आसपास सफाई रखनी चाहिए । हमें प्लास्टिक के थैलों की जगह कागज , कपड़े ,चमड़े के थैलियों का उपयोग करना चाहिए । हमें प्लास्टिक का प्रयोग करने के बाद उसे कहीं ना फेंक कर किसी गड्ढे में दबा देना चाहिए। प्लास्टिक को नहीं जलाना चाहिए। वायु प्रदूषण कम से कम करना चाहिए। फैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदे जल को नदियों में नहीं फेंकना चाहिए। हमें अपने आप को जागरूक करने के बाद लोगों में प्लास्टिक प्रदूषण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करनी चाहिए। ताकि इसके प्रति सतर्क रहें और प्लास्टिक से पर्यावरण को प्रदूषण ना करें।
धीरे-धीरे यह मानव जीवन को निकलने के लिए बढ़ती आ रही है। यही प्लास्टिक प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं किया गया तो प्लास्टिक मनुष्य शुद्ध वायु, स्वच्छ जल, पेड़ पौधों और हरियाली को देखने के लिए तरस जाएगा। प्रशासन और जनता दोनों के प्रयासों से ही प्लास्टिक से मुक्ति मिल सकती है। एक स्वस्थ और स्वास्थ्य कार विश्व में रहना है तो प्रदूषण से लड़ना ही होगा।
संजना
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