साहित्य चक्र

29 August 2021

कविताः राधा-कृष्ण प्रेम



राधा कृष्ण का प्रेम

प्रीत की रीत ऐसी लगी कान्हा,

अब छूटे से न छूटेगी। 


मैं  दुनिया के हर सुख दुःख भूली, 

कृष्ण अब तेरा ही सहारा है। 


दुनिया में प्रेम की कमी हो गयी, 

कृष्ण तुम वापस आ जाओ। 


हम तुम से ये विनती करते है,
राधा के पास आ जाओ। 


 कृष्ण का प्यार अमर है, 

राधा ने दिल  का नज़राना भेजा है। 


दही मिश्री तुम्हे बुलाती है ,

बासुरी की धुन याद दिलाती है। 


वन वन हम भटक रहे है, 

तुम गाय चराने  आ जाओ, 

राधा तुम्हारी राह देख रही है। 


उसकी पास तुम आ जाओ, 

राधा को कृष्ण की यादो ने घेर लिया, 

तुम उसके सपने सजा जाओ।। 


                                            गरिमा 


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