साहित्य चक्र

06 August 2021

दुखी जीवन का सुखी जीवन में परिवर्तन

  



एक अमीर इंसान था जिसके पास पैसा तो बहुत था, लेकिन घर में बहुत अशांति थी। जिसकी वजह से वो बहुत बीमार रहता था, वही दूसरी तरफ एक माध्यम वर्गीय इंसान था। जिसके पास कम पैसा होने के बावजूद भी घर में बहुत खुशाली थी। वो अमीर आदमी उस इंसान को देख देख के उससे जलता और कोशिश करता की पैसे के बल पर उसके काम रुकवा दें।

 जिससे वो हमारी तरह परेशान रहे लेकिन वो गरीब आदमी पर कोई फर्क नहीं आता और उसके घर में और खुशियाँ आती एक दिन अमीर आदमी ने सोचा की चलते हैं, आज एक महात्मा के पास और उनसे अपनी बात कहते हैं। वही कुछ उपाए बताएंगे महात्मा ने जो उपाए बताए तो उस अमीर आदमी के जीवन में 3 महीने में ही घर में खुशियों की बारिश होने लगी। 

उस महात्मा ने बहुत कम शब्दो में कहा की नदी अपना पानी स्वयं भी पीती हैं और सबको पिलातीं है। सूरज स्वयं भी रौशनी लेता हैं और पूरे संसार को रौशनी देता हैं। आज तक ना सूरज की रौशनी में कमी आयी ना नदी का पानी कम हुआ। इसी प्रकार मनुष्य का जीवन हैं जो केवल अपने लिए कमाता हैं और सारे धन का स्वयं ही सेवन करता हैं। उसके पास धन जरूर होगा लेकिन घर में हर समय अशांति ही बनी रहेगी और एक समय आएगा धन के साथ उसका सब कुछ समाप्त हो जायेगा, लेकिन जो इंसान अपने सीमित संसाधन में भी दूसरो का भला करता रहेगा। 

उसके यहाँ हमेशा खुशियाँ बरक़रार रहेगी और उसके नेकी के रास्ते पर चलने के कारण भले ही उसके पास पैसा कम हो लेकिन उसकी मदद के लिए हज़ारों हाथ उसके पास होंगे। उसका कोई काम कभी नहीं रुकेगा ऐसा कोई इंसान नहीं हैं। जिसके जीवन में दुःख ना आया हो, यह प्रकृति स्वयं सिखाती हैं कि एक पेड़ पर फल हर साल निकलते हैं लेकिन कभी कम नहीं होते वही पेड़ थोड़े समय बाद नष्ट हो जाता हैं। 

जो दूसरो को कष्ट देता हैं जैसे बबूल इसलिए अगर जीवन में इंसान खुश रहना चाहता हैं तो अपने सुख के साथ-साथ दूसरों को भी ख़ुशी देता चले तो यह निश्चित है कि परमात्मा उस इंसान के जीवन में दुःख कभी नहीं आने देगा, कोई परेशानी आएगी भी तो उसकी परेशानी को दूर करने के लिए ईश्वर अनगिनत इंसानों के हाथ उसकी मदद के लिए आगे कर देगा। ईश्वर अच्छे इंसानों के लिए हमेशा खड़ा रहता हैं, वो स्वयं दिखायी नहीं पड़ता लेकिन अपनी कृपा  दृष्टि नेक फ़रिश्तों के रूप में अच्छे इंसान की मदद के लिए भेज देता हैं।


                                                                   मनोज चंद्रा 



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