स्वतंत्रता दिवस के पावन बेला में,
आओ हम शुभ काम करें।
देश को सम्प्रभु बनाने में,
अपना भी कुछ योगदान करें।
आज हमारा देश आजादी की 75 वीं वर्षगाँठ पूरे हर्षोउल्लास से मना रहा है। हर तरफ खुशियाँ ही खुशियाँ है। तरह -तरह के रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। देश के कोने-कोने से भारत माँ के जयकारे की गूंज सुनाई दे रही है। हर भारतवासी आज खुश हैं, आनंदित हैं। आज का दिन हम सब भारतवासी के लिए बड़े ही गौरव का दिन है।
एक दूसरे को गले लगाकर बधाइयाँ देने, मिठाइयाँ खाने-खिलाने के साथ-साथ आज का दिन भारत माँ के उन वीर शहीदों को याद करने का भी है, जिन्होंने अपनी जान की कुर्बानी देकर हमें यह आजादी दिलाई है। भारत माँ के पैरों में बंधी गुलामी की बेड़ियाँ तोड़ने के लिए न जाने कितने भारत के वीर सपूतों ने अपनी जान की कुर्बानियाँ दी है। आज हम जिस आजादी का जश्न मना रहे हैं उसे प्राप्त करने के लिए हमारे कितने स्वतंत्रता सेनानियों ने हँसते-हँसते फाँसी के फंदों को अपने गले लगा लिया।
मातृभूमि के रज से जिसने ,
माथे तिलक लगाया।
फाँसी के फंदों को जिसने,
हँसकर गले लगाया।
देश को आजाद कराने की,
जिसने मन में थी ठानी।
आओ बच्चों तुम्हें सुनाए,
उनकी अमर कहानी।
जी हाँ, आज का दिन हमें हमारे बच्चों को यह बताने का दिन कि जिस स्वतंत्र भारत में हम आज स्वतंत्रता पूर्वक सम्मान से जिंदगी जी रहे हैं इसे प्राप्त करने में हमारे अपने ही अपनी खून की नदियाँ बहाई है।
अंग्रेजों की तरह-तरह की यातनाओं को सहा है। काल-कोठरी में डाले गए,कोड़े से पीटे गए,अंग्रेजों की गोलियाँ खाई,फाँसी के फंदों पर चढ़ाए गए। अपने उन वीर शहीदों की कुर्बानियों की वजह से ही आज हम आजादी का रसास्वादन कर पा रहे हैं।
हजारों कुर्बानियाँ देकर,
यह आजादी हमनें है पाई।
भारत माँ की रक्षा करने की,
कसमें हमने है खाई।
आजादी हमें अंग्रेजों द्वारा दिया गया कोई उपहार नहीं है, बल्कि इसे प्राप्त करने के लिए हमने हजारों-हजार कुर्बानियाँ दी है,यातनाएँ झेली है।इसलिए स्वंतंत्रता दिवस के इस पावन अवसर पर हम उन वीर शहीदों को नमन करते हैं और यह संकल्प लेते हैं कि किसी भी कीमत पर हम भारत माँ के आँचल में अब कोई दाग लगने नहीं देंगे। देश हमारे लिए सर्वोपरि है। इसकी रक्षा हमारा परम् कर्तव्य है।
हे भारत के वीर शहीदों,
तुझको मेरा सलाम है।
झुकने नहीं देंगे तिरंगे को हम,
जब तक देह में जान हैं।
जय हिन्द जय भारत
कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'
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