साहित्य चक्र

08 August 2021

प्रीत जहाँ की रीत



है प्रीत जहाँ की रीत सदा,
हम उस राष्ट्र की बाला हैं।
जहाँ की माटी के कण -कण से,
बहती अमृत की धारा है।

भारत प्यारा देश हमारा,
सब देशों  से न्यारा है।
जहाँ के जन-जन के मन में,
बहती प्रीत की धारा है।

जहाँ के पावन माटी में,
ममता ने आँचल फैलाया है।
ऊँच -नीच का भेद मिटाकर,
समरसता का दीप जलाया है।

राम सिया ने आकर यहाँ,
त्याग का अर्थ समझाया है।
और राधा श्याम की जोड़ी ने,
प्रीत की दरिया बहाया है।

हर रिश्तों की नींव जहाँ,
प्रीत के ईंट पे धराया है।
प्यार और भरोसा जहाँ,
हर रिश्तों को पावन बनाया है।

हम उस भारत की बाला हैं,
जहाँ हर दिल में प्रीत समाया है।
अपना पराया का भेद मिटा,
विश्व बंधुत्व का पाठ पढ़ाया है।


                               कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'


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