साहित्य चक्र

21 August 2021

आजादी का अर्थ आज बताना होगा





तन का तन से मन का मन पर भाव सभी को समझाना होगा 
गाँधी गीता  दर्शन पर अर्थ  आजादी  का आज  बताना होगा

कुछ  लोग यहाँ  पर  स्वार्थ  सिद्धि को  हीं आजादी  जाने  है
आजादी  के  कारण  कितने  मृत्युवरण  हुए नहीं  पहचाने है

संघर्षों  की  आजादी  को धर्म  विमुख  ने  हीं बदनाम किया
राजनीति  को हीं सब मान हमने ही ओछा  सब  काम किया

स्वराज जनता  का निश्चय  विश्व  विजयी  ध्येय बताना होगा
गाँधी गंगा..

शिशओ  की  सिसकारी बच्चो की  बेगारी पर रोना आता है
शास्त्री की खुददारी कलामकीईमानदारी कोक्यों भुला जाता है

आज  उचित  होगा मन  सुमिरन  करना वीरो का 
उच्चादर्शो और आँसू का श्रमकण पढ़ना वीरो का

नय सृजन के लक्ष्य बिंदु पर नव छंद का चारण करना होगा
गाँधी गंगा..

हिंदुस्तान  की  मिट्टी  मे आज भी खून की  ख़ुशबू आती है
धरती  अपनी  उगले सोना आज भी  बोली  बोली जाती है

श्वेत नभ  पर  लाली  भी  तब  हीं छायी होगी
जब धरा हमारी लाल रक्त से हीं नहायी होगी

विश्व शांति की चली हवाएं अब गुज़रा इतिहास पढ़ाना होगा 
गाँधी गंगा..

स्वतंत्रत  स्वर  सदा  मुखर  सच्चा लक्ष्य हमारा हो
धन्य सुभग स्वर्णिम सत्य अहिंसा संबल अपना हो

स्वर्ण दिवस अवसर पर शपथ उठाएंगे
प्रचंड भारत हो पुनः अखंड  बनाएंगे

 यश फैले क्षिति जल नभ पर ध्वज अपना फहराना होगा
गाँधी गंगा..



                         कल्पना भदौरिया "स्वप्निल"


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