साहित्य चक्र

29 August 2021

अद्भुत भक्ति, जन्माष्टमी विशेष "आध्यात्मिक"


आज नन्दलाल का जन्मदिन फिर से आ गया, चारों ओर खुशियाँ ही खुशियाँ, वातावरण भक्तिमय, सभी अपने कृष्णा को मनाने में मशगूल, नन्हे नन्हे ग्वाल बाल अपनी मस्ती में मस्त, कान्हा की छवि सबमे बस जाती हैं, बाल अवस्था बच्चे में, सारे बच्चे यशोदा मैया के लल्ले जैसे नजर आते है, सारे युवा, राधा के कृष्णा हो जाते है! बस सब ओर खुशियाँ ही खुशियाँ।






नन्दघर आंनद भयौ जैय कन्हैया लाल की, धुन स्वरलहरिया वातावरण में में गूंजती है तो, ऐसा महसूस होता है! सच में गोकुल वृदांवन बन गया हमारा देश, सभी भक्त चरमपूर्ण भक्ति से ओतप्रोत हो जाते हैं।


उस नंदकिशोर की दीवानी सारी दुनिया है, जाने कितने नाम, सबकी सारी पीर हर लेता है वो एक मुस्कान से, बस एक बार उसे महसूस करो, उसे कही ढूंढने की जरूरत नही, वो खुद आ जाता है ह्दय में, सभी के कष्टों को हरने वाला गिरधारी, मोहन मुरलीधर, उसके चाहने वाले, आदि से अंनत तक है! उसकी वजह से संसार रूपी भवसागर पार कराने वाला प्रेम जीवंत है! कितनी ही गोपिया दीवानी थी! पर वो तो राधा के दीवाने थे।


एक अद्भुत अमिट प्रेम, राधाकृष्ण "हर साँस में बसा प्रेम, अनंत कहानियाँ, एक प्रेम कहानी, एक और प्रेम दीवानी, गोपी, जो कृष्ण प्रेम मे इतनी सुधबुध खोई, की खुद, कृष्णा उसे नजर आते, दुनिया के ताने, पर अधरों की मुस्कान कभी न खोयी, सुशीला नामक युवती , राधा न मीरा, दोनो का समावेश, कृष्ण से अगाध प्रेम, विश्वास, सबने बहुत समझाया, वो कल्पनिक है, पर वो न मानी, उसकी हठ उसकी जिद अपनी सुधबुध खो बैठी "नित सिंगार करती, राधा जैसा पर राधा से विपरीत, सुरमा आंखो के बजाय होठों पर लगा लेती, लाली गालो पर, बावरी थी प्रेम में, घर वालों ने उसका विवाह करवा दिया, पर वो न बदली, सासू माँ समझा समझा कर हार गयी, पति ने सारे वैद्य हकीम से इलाज करवा डाला पर कुछ न बदला" समय के साथ  वो कृष्णमय होती गयी, और कृष्ण में समा गयी, ऐसी होती है प्रेमभक्ति, प्रभु मिले या न मिले, खुद को उनको अर्पण कर दो, उनका कोई रुप नही फिर भी , हम उनका रूप खुद ही निर्मित कर लेते हैं, और उन्हे जीवंत कर लेते है।

 
हर रुप में, जिस रूप में नजर आये, उन्हें उसी रूप में अपना लो, वो हमारे अंदर है, ग्वाल बाल हर रूप उनका "तभी तो हर्षोंउल्लास के साथ हम सब मनाते है उनका जन्मोत्सव, मटकी फोडी जाती है, उनके माखनचोर , रूप को याद करने के लिए, कितने सरल है माखनचोर, हर रूप में लुभाते है, सृष्टि के पालनकर्ता, सबके ह्रदय में विराजमान गिरधारी, बनवारी, हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की, हम सबकी ओर से जन्मष्टमी की शुभकामनाएँ कृष्णा।


                                                 रीमा ठाकुर



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