साहित्य चक्र

21 August 2021

हिंदी कविताः "इबादत"


अंधेरे से झांकती कोमल चांदनी, 
नरम चादरों पर अंगड़ाई लेती बूंदें, 
घोसलों से उड़ान भरते नए सपनें, 
फैले खेतों में डोलती फलियां, 
दरख्तों से झांकती नन्ही बेलें, 
खिलौने  बिखेरते उंगलियाँ, 
सर पे बोझा, तन पे पसीना, 
ना मंदिर, ना मदिना..
 

जाड़ों में आग सेंकती झुर्रियाँ  , 
भूखे पेट, हंसती गाती  लोरियां, 
नम आंखें  , कहती  कहानियाँ, 
थामें ममता  , दूर जाती बलाएँ, 
कुछ तो जादू  करती ये दुआएँ..
 

दूर पर्वतों पर खेलती श्वेत तितलियाँ
सागर  से मिलती, दौड़ती नदियाँ
हर शाम इश्क़ में डूब फना होना, 
हर सुबह स्वर्णिम सपनें लाना, 
बस यूँ ही जिंदगी तु इबादत करना..


                                    नमिता


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