क्या है जीवन की पहचान
जीवन है क्या एक सफ़र
कभी चले कभी जाए ठहर
आते हैं टेढ़े-मेढ़े मोड़
करते रहते हम घट जोड़
कभी दुख कभी सुख
कभी बदलते हैं रुख
कभी हंसी कभी मुस्कान
कभी आराम कभी थकान
घुमड़ती हैं धुंधली यादें
लोगों की खट्टी-मीठी बातें
मिलते अक्सर लोग अनेक
होते हैं बेहतर एक से एक
मिलते नये नये आवाम
देते कुछ बेहतरीन पैगाम
कुछ हम लेते कुछ देते
कभी प्यार से रह जाते रीते
व्यवहार का अर्थ आदान प्रदान
बने हम नहीं पाषाण
जीवन को समझना नहीं आसान
यहीं है जीवन की पहचान।
नागेन्द्र नाथ गुप्ता
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