स्वतंत्रता दिवस पर दे रहे बधाई
मिलकर भ्रष्टाचारी ।
लूट-खसोट कमीशनखोरी
पग-पग पर है जारी ।
लोकतंत्र का मालिक मूर्छित
और असाध्य बीमारी ।
चोरी घूसख़ोरी के कुख्याति
तिरंगा पर है भारी ।
क़सम भारत माँ की खाते ऐसे
जैसे खीर पुँड़ी तरकारी ।
लूट सको तो लूट लो सारे
माल है सरकारी ।
शरहद पर तिरंगा शान का द्योतक
सड़क पर है बटमारी ।
कुछ तो शर्म करो रे पापी
शहर क़स्बा और गाँव के अधिकारी ।
तिरंगा छूने से पहले
भगत,बोस को याद करो ।
संविधान का शपथ लिया है
भारत माँ की फ़रियाद सुनो ।
कट गयी गर्दन असंख्य पूतों की
भारत माँ की करुण क्रंदन पुकार सुनो ।
दूसरे के आँसुओं से मत ,
अपने महल की बुनियाद भरो ।
राष्ट्रीय पर्व का कोई अर्थ नहीं
जब गाँव ही हो अनजान ।
पर , उनके दिल में बसा तिरंगा
बनके सदैव महान ।
नंद किशोर भारती
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