साहित्य चक्र

22 August 2021

राष्ट्रीय पर्वः स्वतंत्रता दिवस



स्वतंत्रता दिवस पर दे रहे बधाई 
मिलकर भ्रष्टाचारी ।
लूट-खसोट कमीशनखोरी 
पग-पग पर है जारी ।

लोकतंत्र का मालिक मूर्छित 
और असाध्य बीमारी ।
चोरी घूसख़ोरी के कुख्याति 
तिरंगा पर है भारी ।

क़सम भारत माँ की खाते ऐसे 
जैसे खीर पुँड़ी तरकारी ।
लूट सको तो लूट लो सारे 
माल है सरकारी ।

शरहद पर तिरंगा शान का द्योतक 
सड़क पर है बटमारी ।
कुछ तो शर्म करो रे पापी 
शहर क़स्बा और गाँव के अधिकारी ।

तिरंगा छूने से पहले 
भगत,बोस को याद करो ।
संविधान का शपथ लिया है 
भारत माँ की फ़रियाद सुनो ।

कट गयी गर्दन असंख्य पूतों की 
भारत माँ की करुण क्रंदन पुकार सुनो ।
दूसरे के आँसुओं से मत ,
अपने महल की बुनियाद भरो ।

राष्ट्रीय पर्व का कोई अर्थ नहीं 
जब गाँव ही हो अनजान ।
पर , उनके दिल में बसा तिरंगा 
बनके सदैव महान ।

                                                   नंद किशोर भारती


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