बड़ा सोचो,बड़ा चाहो ,
हासिल मुकाम तब होता है।
चाहत हो चांद की तब तो ,
फतह तारों पर होता है।
असफलताओं से घिर जाओ,
तनिक ना तुम भी घबराना।
इसी में तो छिपा होता,
सफलता का वह रास्ता है।
तकलीफों और बाधाओं से,
डर कर ना तुम ठहर जाना ।
काली रात के बाद ही तो ,
सुहाना सवेरा होता है ।
गिरकर के फिसलने से ,
मन को ना तुम यूं भटकाना।
सीखना न सिर्फ हाथी से,
चींटी से भी होता है ।।
स्वाति मानधना 'सुहासिनी'
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