साहित्य चक्र

26 March 2020

मुश्किल घड़ी में क्यों पीछे हट जाते हैं अमीर भारतीय ?


वर्तमान में पूरा विश्व कोरोनावायरस के आतंक से परेशान है। चाहे चीन हो, अमेरिका या फिर इटली हर देश इस बीमारी से ग्रस्त होता जा रहा है। इस बीमारी का अभी तक कोई भी टीका व दवाई उपलब्ध नहीं है। यह अब तक की सबसे तेज गति से फैलने वाली सबसे खतरनाक बीमारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बीमारी पक्षियों और जानवरों से इंसान में आई है। वर्तमान में जितनी तेजी से यह बीमारी फैल रही है, यह आने वाली इंसानी पीढ़ी के लिए बेहद ही गंभीर संकेत है। अगर इस बीमारी को रोका नहीं गया यदि इसका कोई इलाज नहीं ढूंढा गया तो यह बीमारी इंसानी जीवन को खत्म कर सकती है।



चीन, अमेरिका, इटली जैसे देश भारत से कई गुना बेहतर और शक्तिशाली हैं। उसके बावजूद भी उन देशों की हालत वर्तमान समय में इस गंभीर बीमारी से बेहद चिंताजनक हो गई है। इन सभी देशों ने अरबों-खरबों रुपए अपनी जनता की सुरक्षा के लिए खर्च करने की घोषणा कर दी है। इन देशों के कई अमीर उद्योगपतियों ने जनता हित और राष्ट्र हित के लिए और करोड़ों रुपए दे दिए हैं। मगर हमारे देश के भगवान कहलाने वाले इंसान का दिल अभी तक नहीं निघला है। आखिर इन लोगों को हमारी कोई फिक्र नहीं है ? क्या इन लोगों को अपने देश से प्रेम नहीं है ? जरा खुद सोचो आप जो सदी के #महानायक हो, बॉलीवुड के #बादशाह हो या भाई जान हो।  क्या इस संकट की घड़ी में इन लोगों को देश की जनता की मदद करनी चाहिए थी या नहीं ? देश के सबसे अमीर व्यक्ति #मुकेश-दा और पूरे देश को फ्री में इंटरव्यू देने वाले दाता आखिर क्यों इस संकट की घड़ी में वह देश सेवा और जन सेवा के लिए आगे नहीं आ रहे ? आप खुद सोचिए हम क्रिकेट के भगवान के लिए रात के 2 बजे तक टीवी देखते हैं, बॉलीवुड सितारों की मूवी देखने के लिए लंबी-लंबी लाइन में खड़ी हो जाते हैं। आखिर क्यों ? आपके साफ समझ में आ जाएगा इन लोगों को सिर्फ पैसे से प्यार है ? जबकि इन्हें हम ने क्रिकेट का भगवान बनाया है, सदी का महानायक बनाया है, सिनेमा जगत का बादशाह बनाया है, सिनेमा जगत का भाई जान बनाया है। क्या संकट की घड़ी में इन लोगों को जनसेवा और राष्ट्र सेवा के लिए आगे नहीं आना चाहिए ? 

मुझे तो इस वक्त अपनी सरकार और शासन व्यवस्था पर भी गुस्सा आ रहा है। गुस्सा इसलिए आ रहा है हमारी शासन व्यवस्था और सरकारें भी इन्हीं को सम्मानित करती है। क्रिकेट के भगवान के लिए हमने भारत रत्न की मांग की, हमारी सरकार ने भारत रत्न के नियमों में बदलाव करते हुए क्रिकेट के भगवान को भारत रत्न से सम्मानित किया।  

आम जनता ही बेवकूफ है जो उनकी फिल्में और इनके खेल के लिए अपना समय बर्बाद करती है। कहां गए धोनी, विराट, अनुपम खेर और टीवी न्यूज़ चैनलों के बड़े पत्रकार जो इस मुश्किल घड़ी में आम जनता की मदद के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। अगर किसी राजनीतिक पार्टी की चाटुकारिता करनी होती तो सबसे पहले आते और धर्म जाति मजहब के नाम पर जनता को लड़ा कर चले जाते। क्या सुधीर चौधरी, अंजना ओम कश्यप, श्वेता सिंह, रवीश कुमार, चित्रा त्रिपाठी जैसे करोड़ों कमाने वाले पत्रकारों ने इस मुश्किल घड़ी में आम जनता की कुछ मदद की ? 

इस वक्त को याद रखना हम और तुम सिर्फ आम जनता हैं, हम मर भी जाएंगे तो इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा। बस इनकी दुकान है चलनी चाहिए सेकुलरिज्म और देशभक्ति वाली, जो हमें कभी हिंदू-मुस्लिम, दलित-ब्राह्मण मैं लड़ते रहते हैं। मैंने जितने भी पत्रकारों का नाम लिखा है यह सब 100 करोड़ से ऊपर की संपत्ति वाले हैं। कहां गए तुम्हारे आईटी सेल्स के वह लोग जो तुम्हें व्हाट्सएप, फेसबुक में मैसेज सेंड करने को कहते हैं ? 

गरीब जनता का कोई नहीं होता। अब आपको फैसला करना है- जिन लोगों को आपने बादशाह, सदी का महानायक और क्रिकेट का भगवान बनाया हो और आज इस मुश्किल घड़ी में अगर वह तुम्हारे काम नहीं आए, तो फिर इनका बादशाह, महानायक और भगवान कहलाना उचित नहीं है। आपकी मदद आपका पड़ोसी कर सकता है, आपका दोस्त कर सकता है, आपके रिश्तेदार कर सकते हैं, आपके क्षेत्र वासी कर सकते हैं। मैं तो बस इतना ही कहना चाहूंगा- इस मुश्किल घड़ी में मिलकर रहि, धर्म, जाति, मजहब से उठ कर देखिए और अपने घरों के अंदर अपने परिवार के साथ बैठे रहिए।

                                       #दीपक_कोहली 'पागल'


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