साहित्य चक्र

07 March 2020

छिड़ गई तान नई

होली में 
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छिड़ गई तान नई 
कली खिलके फूल हुई 

गाओ-गाओ मंगल गान 
गुलाब वाटिका की शान 

आ गया फाग नया 
उर में जागा भाव नया 

गौरी के होंठ सुर्ख लाल 
रसिया को देख बदली चाल 

मटक-मटक, चटक-चटक 
मन जाये चहक - चहक 

आँखों में भांग का डोरा 
बूढ़ा घूमें बनकर छोरा 

तितलियों की देख उड़ान 
आशिकों की निकली जान 

गौरे गाल रंगे गुलाल 
मर्यदा हुई बेहाल 

साथी इस होली में 
नजर न गढ़ाना चोली में 

संस्कारी बनकर रहना 
‘कुमार’ का है सबसे कहना 

                                           - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 


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