साहित्य चक्र

28 March 2020

कोरोना पर दोहे




कोरोना से जंग में, दे पूरा सहयोग।
समय गुजर जाने पर न, करना पड़े वियोग॥1॥

त्राहि त्राहि है मच रही, जन-जन है भयभीत।
विपरीत समय में साथ दें, ये मानवता रीत॥२॥

सबकी जरुरत का सभी, मिलकर रखिये ध्यान।
जन-जीवनभर स्वस्थ रहे, सबके चित अरमान॥३॥

साफ सफ़ाई का सभी, पूरा रखिए ध्यान।
उपाय यही बचाव का, हो सबको ये भान॥४॥

अस्पृश्यता के बिना, रखिये पूरा नेह।
मास्क पहन करके मिले, छुए न कोई देह॥५॥

सावधानी रख करके, हो पायेगी जीत।
भावना मानवता की, है सच्ची जग से प्रीत ॥६॥

गँभीर परिस्थित को भी, मज़ाक समझते मीत। 
सँभलो आज सभी वर्ना, बनोगे कल अतीत॥७॥

हाहाकार मचा हुआ, नहिं कोई संगीत।
परिस्थित की गँभीरता, अब तो समझो मीत॥८॥

विश्वभर में गूँज रहा, कोरोना का शोर।
जन विचलित भयभीत है, नहिं उपचारित छोर॥९॥

मिल-जुल लड़े जंग सभी, देश में हो विनीत।
कोरोना वायरस से, बेशक होगी जीत॥१0॥

नेहआलिंगन छोड़ दें, हाथ जोड़ जयराम।
हो मोह न प्राण से ग़र , जीभर करें प्रणाम ॥११॥

आदत में हो स्वच्छता, रहें रखेंगे शुद्ध।
सफल हो युद्ध जीत से, भारती हो प्रबुद्ध॥१२॥


                                   अनामिका वैश्य आईना


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