साहित्य चक्र

15 March 2020

बेजुबानों की रक्षा कर



मेरी ख़ुद से लड़ाई जारी है,
जो देखा है सपना कुछ कर दिखाने की,
अपने माता पिता के विश्वास को बरकरार रख बुलंदियों को छू जाने की,
अपने परिवार का बेटा बन उन जिम्मेदारियों को पूरा करने की,
नींद को हराकर, 
ख़ुद से लड़कर अपने हर सपने को साकार होते देखने की मेरी ख़ुद से लड़ाई अभी जारी है।

बेजुबानों की रक्षा कर, 
बूढ़े बुज़ुर्ग की सेवा करने की जो एक सोच मन में ठानी है,
जब तक पूरा ना कर लूं उस सोच को तब तक मेरी ख़ुद से लड़ाई जारी है।

जिन्होंने बचपन से लेकर अभी तक मेरा ख्याल रखा, 
मेरी हर जरूरत का ख्याल रखा,
मुझे पढ़ा लिखा कर बढ़ा किया, 
उन माता पिता की अब हर ख्वाहिश,
हर छोटी बड़ी ख़ुशी की मेरी जिम्मेदारी है,
जो वो हर पल हमारे लिए परेशान रहते हैं,
हमारे भविष्य को लेकर,
जब तक उनके चेहरे पर मैं ख़ुशी ना देख लूं तब तक मेरी ख़ुद से लड़ाई जारी है।।


                                      निहारिका चौधरी


No comments:

Post a Comment