साहित्य चक्र

28 March 2020

इच्छा-शक्ति-अटल विश्वास

इच्छा-शक्ति 



अथाह मार्ग, अथाह संकल्प
भय कैसा रख दृढ़ संकल्प
करते हैं स्वागत द्वार बंद भी
हालातों से लड़ जाए अगर
नहीं विजेता मैं, स्वीकार किया
टूटा ना कभी, इच्छा शक्ति प्रबल
चमक उठता स्वतः कोहिनूर भी
घर्षण उसका ना हुआ असफल
उद्देश्य होगा पूर्ण, निश्चित है
समय चाहे कितना हो अल्प
कितनी भी हो भयावह स्तिथि
ना होंगे कोई संघर्ष तेरे विफल
क्षमता का नहीं तेरी तुझको ज्ञान
संघर्ष निरंतर, बुलंद आत्मबल
है योद्धा तू जीवन रणभूमि का
हार ना मान, हर चुनौती से लड़
मिलते असफलता से ये हथियार
इच्छा-शक्ति और विश्वास अटल

                                           विनीता पुंढीर 


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