साहित्य चक्र

27 March 2020

कोरोना-कोरोना अब बहुत हो गया तेरा रोना...





कोरोना-कोरोना
हो रहा चारों तरफ तेरा रोना।
सब हो रहे हैं दूर - दूर
पास आना नहीं किसी को मंजूर।
घर की खुली जेल में
कर दिया तूने सबको बंद।
सब काम -काज छोड़ अपना
बैठे हैं अपनों के संग।
सूनी-सूनी हैं सड़कें
सूनी-सूनी हैं गलियां।
चारों तरफ लगता है 
जैसे डाला हो तूने डेरा।

पर ना समझ कमजोर हमको
ठान के बैठे हैं हम भी,
आने न देंगे पास तुझे
जितना करना चाहे कर ले जतन तू भी।
चाहे कितना ही लगे लॉकडाउन
चाहे धोने हों हाथ बार-बार
चाहे ना जा पाएं घर से बाहर
पर सामना तो हम करेंगे तेरा।

होकर सभी एकमत
स्वास्थ्य रक्षकों के निर्देशों को मानकर
कर देंगे तुझे हम बाहर ।
मातम हम नहीं
मातम मनाएगा तू
ये सोचकर कि 
क्यूं आया मैं इस भारत की जमीं पर।
समय है सावधानी बरतने का
समय है नादानियों से बचने का
अपनों के लिए जीने का
अपनों को अपनी इस दुनिया में 
जिंदा रखने का।
कोरोना-कोरोना
अब बहुत हो गया तेरा रोना।

                                                 तनूजा



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