गुमशुदा है कौन मुझमें.. ढूंढते हैं
तरु मेघ पवन भू खग से .. पूछते हैं
हो पता ग़र तो कोई बताओ न मुझे
खोज मेें उसकी हर पल.. जूझते हैं
नयनों की शरारत रंग लाती है तब
मोहब्बत के फूल दिलों में फूलते हैं
रंगकर मोहब्बत के रंगों में सँग सँग
आज़ इक दूजे की बाहों में झूलते हैं
खनकती हैं चूड़ियाँ इश्क़े सेज पर
समर्पित हो महकते गजरे टूटते हैं
तन्हा खामोशियां करती हैं गुफ़्तगू
अधर पर अधर रख दिल लूटते हैं
गुज़ारिश करे आईना अपने यार से
खोके इक दूजे में हम सब भूलते हैं
अनामिका वैश्य आईना
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