चिंकी हाथी सूंड में रंगों भरा पानी भर लाया।
कालू बंदर बिना कुछ समझे उसके पास आया।।
चिंकी फिर जैसे ही शरारत भरी मुस्कान मुस्काया।
तब कहीं जाकर कालू को कुछ समझ आया।।
चिंकी ने जैसे ही अपनी सूंड उसकी और बढ़ाई।
कालू ने जोर से छलाँग लगाकर अपनी जान बचाई।।
चिंकी ने दिमाग लगाया, कालू को अपने पास बुलाया।
चालाक कालू ने पेड पर रंग बिरंगा गुलाल छिपाया।।
कालू भोला-भाला बनकर फिर चिंकी के पास जा बैठा।
रंगों में चिंकी को कर सराबोर, कूद कर पेड पर चढ़ बैठा।।
जब चिंकी पर पड़ गयी उलटी अपनी ही चाल।
फिर अपनी सूंड घुमाकर चल पड़ा अपनी मस्तानी चाल।।
नीरज त्यागी
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