साहित्य चक्र

07 March 2020

विपदा से घबराना क्या



सदा लक्ष्य की ओर बढ़े ,
बड़े - बड़े इतिहास गढ़े ।
देख चींटी का साहस हम भी ,
सौ - सौ बार पहाड़ चढ़े ।।


विपदा से घबराना क्या ,
सूरत से शरमाना क्या ।
लड़ते रहो ,बढ़ते रहो ,
जीत का जश्न मनाना क्या ।।


बातें सौ - सौ लोग करेंगे ,
एक - दूजे के कान भरेंगे ।
सहन करो जो जग के ताने ,
तो सब तुम पर अभिमान करेंगे ।।


पीड़ा अपनी आप ही जानो ,
सुनो सदा ,पर मन की मानो ।
निश्चित ही तुम विजय पाओगे ,
एक बार बस रार तो ठानो ।।


                    सुनील पोरवाल "शेलू "


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