साहित्य चक्र

29 March 2020

कोविड-19 का अभिमान

*कोरोना आया हैं*


इन चीनी लोगों से ही कोरोना ने ये आमंत्रण पाया है,
सारे देशवासियों को प्रसाद रूप में फिर भिजवाया है।

भारत में भी कोरोना ने तबाही का मकसद बनाया है,
तभी इस विपदा की घड़ी में ऐसा कोहराम मचाया है।


नापाक इरादों से यह महासंकट हिन्दुस्तान को छल्ली करने आया है, तभी हर जन के लिए मोदी ने ये कर्फ्यू लगाया है ।
मेडिकल पुलिस प्रशासन ने सख्ती से आदेशों का पालन करवाया है, जनता को केवल घर पर ही रहना जीवन का मोल बताया है ।

बोर्ड यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं को क्षण भर में ही रुकवाया है,
बाजार दुकाने बंद करवाकर सड़कों को सुनसान रखवाया है।

अद्भुत दिवस इस इतवार को ये चला आया है,
अविश्वसनीय ध्वनि तरंगों से हमारे अंबर को सभी ने गुंजाया है ।


सेनिटाइजर मास्क लगा खुद का ध्यान खुद ही रखना सिखाया है, 
24 मार्च को मोदी जी ने फिर से हमें देश का हाल सुनाया है।
रहीस अमीरों का लम्हा छुट्टी का आराम से आया है,
लाचार  गरीबों के चूल्हों को कुछ हरीशचंद्रो ने भी चलाया है।


गृहत्याग पर सरकार ने लक्ष्मणरेखा का सा बैन लगाया है,
भीङभाङ से दूर होकर जनता ने घर में ही डेरा जमाया हैं।

21 दिन की तपस्या का बीड़ा सभी ने मिलके उठाया हैं,
ऐसा अद्भुत संकल्प भारतवासियों ने बखूबी से निभाया हैं।


कोविड-19 का अभिमान चूर करने को ही तो देश में लाॅकडाउन लगाया है,
गिनीज बुक में मोदीजी के रिकॉर्ड को दर्ज का मानस सभी ने बनाया है।



                                      शालू मिश्रा



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