साहित्य चक्र

15 March 2020

इसी का नाम है नारी




अपने -आप में,
एक सम्पूर्ण कहानी।
इसी का नाम है नारी।।

जीवन की संवेदना,
मर्म की मूक निशानी।
भाव-मय ,
ममता-मूरत,
समर्पित जीवन की रवानी।।

इसी का नाम है नारी।

कितने रूपों में,
समा जाती .
जीवन को,
स्वर्णिम कर जाती।

घर की परिकल्पना,
तुम्हीं पर धरी जाती।

पूजित हर पल ,
हर कहीं जाती।

सृष्टि को सृजित कर जाती।
कुछ शब्दों में,
कैसे तोलू,
नपे- तुले शब्दों में,
कैसे बोलूं।

सिर्फ एक दिन तेरे नाम करूँ।
क्यों.......?
ईश्वर का गुनाहगार बनूँ।

तुम तो,
हर शब्द में,
हर दिन में,
हर -पल में समाती हो।

जीवन की,
परिपाटी।
अनुपम कल्पना।

इसी का नाम है नारी।
इसी का नाम है नारी।।
             
                             - प्रीति  शर्मा


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