फागुन का उत्सव
यारो की टोली
निकल पड़ी अलसुबह
धमाल करने
गैंडा, लप्पा , फुटिया
चंदू , ओर खाटिया
यारो की टोली
होली के रंग में रंगने
भांग और जाम के सुरूर में चढ़ने
निकल पड़ी यारों की टोली
होली के सुरूर में
कोई खुद को रंग लगाता
तो कोई किसी को
रंग गुलाल से नहलाता
होश रहा जब तक
प्रेम से गले लगाया
बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद भी
नहीं उन्होंने भूलाया।
जब पहुंचा खुमार चरम पे
टांगा - तोड़ी कर
गोबर का स्वाद चखाया
इस हरकत से
यारों का भी सिर चकराया।
शर्म की सीमा टूट गई
जब उसने कुत्ते से मुंह चटवाया
होली के शोरगुल में
कोई ना उसको पहचान पाया
यारों की टोली ने
यह कैसा फागुन का
त्यौहार मनाया
रंगों से सारोबार हो
कीचड़ में लथपथ घर पर आया
यारों की टोली और
होली का त्यौहार
यारों ने जमकर मनाया
कमल राठौर साहिल
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