साहित्य चक्र

14 March 2021

आंतरिक दर्द



मैं कभी-कभी 
निशब्द हो जाता हूं। 
समझ नहीं आता 
क्या लिखूं. 
और किसके बारे में लिखूं ।
जिनको देखकर
शब्दों के जाल बुनता था, 
वो ही आज मुझे
निशब्द कर चलेगे।
जिनको सोच कर
मेरा अंतर्मन नए-नए
भावों को उद्वेलित करता था।
वो ही आज मुझे
भावों से हीन करके चलेंगे।
जिनके लिए मैं
समझदार बनता था,
वो ही आज मुझे 
नासमझ मान कर
कही दूर चले गए।

                                   राजीव डोगरा 'विमल'


No comments:

Post a Comment