जमीन के साथ आसमान
पूर्णता का एहसास है
आसमान है वहां
जहां जहां होती है जमीन
जमीन ने
आसमान होना नहीं सीखा
न ही सीखी
उड़ने, फैलने और स्थानांतरित होने की कला
चलती है जमीन जैसे उसे चलना है
आहिस्ता अथक निरंतर एक सी
उसकी गति में जाग रहा है जीवन
उल्लासित, वैभवशाली,
आभा युक्त शालीन असंभव सा चमत्कृत
जमीन खुश है अपनी
हरियाली संतुष्टि और उपजाऊ वजूद के साथ
बिना जाने कि
आसमान होने का मतलब है क्या!
जमीन का ज़मीन होना
उसके ज़मीन के लिए जरूरी है जैसी कोई बात नहीं
उसने आसमान होने में तसल्ली नहीं देखी
उसकी नियति में जीवन की धुन दुनिया सुनती है।
डॉ. रीता दास राम
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